BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA

Tuesday, August 20, 2013

आइये मेरे नन्हे मुन्ने दोस्तों इन जांबाज से मिलिए ,,,प्ले एंड सी वीडिओ







taken from facebook for lovely children with thanks,,,Bhramar5 बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

Wednesday, August 14, 2013

कदम ताल से धरती कांपी- चले हिन्द के वीर

कदम ताल से धरती कांपी- चले हिन्द के वीर

कदम ताल से धरती कांपी
चले हिन्द के वीर
लिए तिरंगा चोटी  चढ़ के
   गरजे ले शमशीर .............
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भारत माँ ले रहीं सलामी
खुशियों का सागर उमड़ा
गले मिले सन्तति सब उनकी
ह्रदय कमल खिल-खिला पड़ा
कदम ताल से धरती कांपी ................
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भारत माँ   हैं जान से प्यारी
संस्कृति अपनी बड़ी दुलारी
प्रेम शान्ति का पाठ पढ़े हम
अनगिन भाषा खिले हैं क्यारी
कदम ताल से धरती कांपी ................
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नई नई नित खोज किये हम
विश्व गुरु बन दुनिया पाठ पढाये
वसुधा सागर गगन भेद के
सूक्ष्म ,तपस्या योग सिखाये
कदम ताल से धरती कांपी ................
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हम  स्वतंत्र हैं प्रजातंत्र है
अपना सब का प्यारा राज
यहाँ अहिंसा भाईचारा नीति नियम है
 सभी मनाएं भाँति -भांति हिल-मिल त्यौहार
कदम ताल से धरती कांपी ................
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शेर हैं हम नरसिंह है हम वीर बड़े हैं
अर्जुन एकलव्य से हैं तो भीष्म अटल हैं
कायर दुश्मन वार कभी पीछे करते हैं
लिए तिरंगा छाती चढ़ते वीर हमारे अजर अमर हैं 
कदम ताल से धरती कांपी ................
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प्रेम शान्ति का पाठ पढो हे दुनिया वालों
ना कर तांडव नाश सृष्टि का इसे बचा लो
ज्ञान दंभ पाखण्ड लूट बेचैनी से तुम घिरे पड़े हो
अन्तः झांको ,ज्वालामुखी धधकता 'स्वको अभी बचा लो
दूध की नदिया सोने चिड़िया से गुर सीखो
कल्पवृक्ष भारत अगाध है प्रेम लुटाना लेना सीखो
कदम ताल से धरती कांपी ................
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
प्रतापगढ़ भारत

कुल्लू -हिमाचल




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं



बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

Monday, June 24, 2013

अम्मा दौड़ो छाता लाओ


अम्मा दौड़ो छाता  लाओ
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रिम-झिम रिम-झिम बारिस आई
फूलों पौधों को नहलाई
मंद-मंद पुरवाई आई
झूमे तरु सब पौधे डाली
भोर उठा चिड़ियों संग गाया
देख प्रकृति  मन खुश हो आया
हरी घास सब खेत बाग़ वन
परछाई जल में उलटे सब


कागज़ मोड़ा नाव चलाया
खेत बाँध मै  नदी बनाया
मेढक दादुर मोर शोर था
नाच रहा मन-मोर जोर था

अम्मा दौड़ो छाता  लाओ


मुझको बस तक तो पहुँचाओ
नहीं तो लथ-पथ हो जाऊंगा
सर्दी बुखार ले घर आऊँगा
अच्छीं अच्छीं छींकें आतीं
सिहरन ज्वर अलसाई आती
पुस्तक दोस्त बनाये दूरी
मेरे कारण  रात-रात तू जागे पूरी
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छवियाँ गूगल/नेट से साभार 
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
14.06.2013
5.30-6.0 A.M.
कुल्लू हिमाचल

भारत



बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

Wednesday, May 22, 2013




 आओ बच्चों  शीतल कर दूं
 सारी    गर्मी पल में  हर लूं
 अपने  जैसा  हरा भरा कर
चेहरा कर दूं  लाल  टमाटर
पल में    सोख पसीना लूं मै
 जेठ  दुपहरी  में   तरुवर हूँ
हर पिपासु का कुआँ बड़ा हूँ
कुआँ  बड़ा पर द्व़ार  खडा हूँ
देखो कुआँ मगर मै  आया
मन में ज़रा  अहम् ना लाया
 तुम भी सब  की प्यास मिटाओ
बढे चलो तुम ना शरमाओ
मेरे जैसा शीतल रह के
मन मिठास दिन प्रतिदिन भर के
 तरबूजे सा मीठा बन के
दिल  अजीज  सब के तुम बन के
दुनिया में  परचम  लहराओ
भर  मिठास मुस्कान खिलाओ !

 सत्यम शुक्ल
2 2 मई २01 3






बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --