BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA

Wednesday, September 30, 2015

आओ हम प्रातः उठ जाएँ

आओ हम प्रातः उठ जाएँ
दोनों कर नैन भरे देखें
लक्ष्मी शारद सब दर्शन पाएं
माँ-पृथ्वी के हम गले लगें
भजन कीर्तन जुड़ प्रभु से
कुछ योग-ध्यान में खो जाएँ
ले दिव्य दृष्टि पाएं प्रभु को
जीवन को अपने सफल बनायें
आओ हम प्रातः उठ जाएँ
प्रातः वेला में घूम -टहल
देखें कलरव हर चहल पहल
जब खिलें पुष्प या पंकज दल
मन-हर माँ प्रकृति के सुखकर दृश्य
ले श्वांस तेज सब दिल में भर
मुस्काते -हँसते दिन-रैना
जीवन को अपने सफल बनायें
आओ हम प्रातः उठ जाएँ
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कुछ पुण्य करें कुछ दान करें
चिड़िया कौओं का ध्यान रखें
माँ-गौ माता को नमन करें
शीतल जल कुछ तो दे आएं
जो असहाय कहीं दुर्बल हैं
कुछ अंश प्रभु का दे आएं
ऊर्जा ऊष्मा आशीष सभी के
जीवन को अपने दिव्य बनायें
मुख -मंडल जब आभा अपने
मन ख़ुशी सभी को खुश रख के
हर कार्य सफलता पा जाएँ
आओ हम प्रातः उठ जाएँ
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हम स्वच्छ रहें परिवेश स्वच्छ
नित साफ़ सफाई मन लाएं
आरती वंदन मंदिर मस्जिद
गुरूद्वारे-चर्च कहीं जाएँ
है कोई करे नियंत्रित सब
हम प्रेम करें रखें कुछ भय
उस प्रभु में खो जाएँ पल -छिन
विचरें हम शून्य व् सूक्ष्म जगत
शुभ सुन्दर सच का करें वरन
जीवन आओ हम सफल बनायें
आओ हम प्रातः उठ जाएँ
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
२०--२०१५
रविवार
.४२-.४२ पूर्वाह्न

कुल्लू हिमाचल प्रदेश भारत  


बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

Sunday, April 26, 2015

आओ बाल गोपाल बनें हम

 प्रिय मित्रों आज हमारे सुपुत्र सत्यम ' गिरीश कुमार शुक्ल ' का जन्म दिन है आशा है आप सब का आशीष उसे मिलेगा ताकि जीवन पथ पर उजाला करते प्रगति पथ पर अग्रसर हो सके , मैंने भी इस अवसर पर निम्न रच डाला
जय श्री राधे



आओ बाल गोपाल बनें हम
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जन्म दिवस हो तुम्हे मुबारक
बल बुधि विद्या पाओ
संयम साहस प्रगति मार्ग पर
चले- प्रतिष्ठा पाओ
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एक बनो तुम नेक बनो हे !
करुणा दया दिखाओ
क्रोध अहं से दूर रहे हे !
प्रेम गीत गा हर दिल में छा जाओ 
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हो एकाग्री चित्त में संयम
लक्ष्य सुनिश्चित कर जाओ
करो साधना निष्ठा मेहनत
पूजा जैसे , फिर प्रसाद तुम पाओ
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सुखी हो जीवन खुशियाँ बरसे
सब मिल खुशियाँ बांटो
घर-आँगन नित शांति बनी हो
जीवन सफल बनाओ
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बड़ों का आदर ज्ञान की पूजा
अच्छाई का वरण करो
एक 'ओउम ' है कोई ना दूजा-
मान! हृदय पुष्प को खिला रखो
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आओ बाल गोपाल बनें हम
हरषे झूमे नाचें
माखन लड्डू स्नेह के खाकर
हर दिल में छा जाएँ
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आलस ईर्ष्या दम्भ बुराई
दुर्जन -दुर्गुण दूर रहें
सज्जन सद्गुण हर अच्छाई
अपना करके दिल में सबके बने रहें
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 सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
२७.४.२०१५. ६.४२ पूर्वाह्न
कुल्लू हिमाचल




बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --