BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA

Tuesday, July 24, 2012

चिड़िया रानी


 
चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर,
मीठा राग सुनाती हो।
आनन-फानन में उड़ करके,
आसमान तक जाती हो।।

मेरे अगर पंख होते तो,
मैं भी नभ तक हो आता।
पेड़ो के ऊपर जा करके,
ताजे-मीठे फल खाता।।

जब मन करता मैं उड़ कर के,
नानी जी के घर जाता।
आसमान में कलाबाजियाँ कर के,
सबको दिखलाता।।

सूरज उगने से पहले तुम,
नित्य-प्रति उठ जाती हो।
चीं-चींचूँ-चूँ वाले स्वर से ,
मुझको रोज जगाती हो।।

तुम मुझको सन्देशा देती,
रोज सवेरे उठा करो।
अपनी पुस्तक को ले करके,
पढ़ने में नित जुटा करो।।

चिड़िया रानी बड़ी सयानी,
कितनी मेहनत करती हो।
दाना-दुनका बीन-बीन कर,
पेट हमेशा भरती हो।।

अपने कामों से मेहनत का,
पथ हमको दिखलाती हो।।
जीवन श्रम के लिए बना है,
सीख यही सिखलाती हो।
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द्वारा रूप चन्द्र शास्त्री 'मयंक'




बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

8 comments:

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय शास्त्री जी बहुत सुन्दर बाल कविता ..पहले ये अपने साथ साथ खेलती थी गौरैया , बुलबुल आदि अब सब तरसते हैं ....
आभार
भ्रमर ५

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आभार...!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शास्त्री जी की सुंदर बाल कविता .... आभार

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया संगीता जी अभिवादन ..बहुत सुन्दर रचना शास्त्री जी की लेखनी का जबाब नहीं ...
आभार
भ्रमर ५

Chaitanyaa Sharma said...

सयानी चिड़िया रानी की प्यारी कविता

रुनझुन said...

बहुत अच्छी कविता है...मेरे घर में भी चिड़िया का एक प्यारा सा घोसला है....

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 said...

जय श्री राधे रुनझुन ...चिड़ियों के साथ उड़ने को मन करता है ..आप के पास हैं तो बड़ा मजा आता होगा ...
भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

हाँ जी सयानी तो बहुत है तभी तो बातें इतनी समझा गयी न चैतन्य जी ....आभार
भ्रमर ५