ऊपर दिखता कुछ है मम्मी
अन्दर में कुछ होता
(both photos taken from 123RF.com /googal/net with thanks)
जैसे हरा है ऊपर दिखता
लाल रंग अन्दर तरबूजा
ऊपर जितना ये कठोर है
कोमल अन्दर नरम भरा
तिक्त है ऊपर -रस तो इसका
मीठा अन्दर भरा हुआ
मन मेरा भी मधुर मधुर हो
शीतल सब को कर जाये
आओ गुण देखे हम उसके
बाह्य दिखावे पर ना जाएँ !!
बच्चों अब तो गर्मी जा रही है इनका काम कुछ ख़त्म हो जायेगा मगर अभी तक तो ये बहुत आनंद दिए -गोल मटोल जैसे भूमंडल -ग्लोब , एक बार घुमा दो तो लट्टू जैसे घूमते रहते हैं --
बच्चों अब तो गर्मी जा रही है इनका काम कुछ ख़त्म हो जायेगा मगर अभी तक तो ये बहुत आनंद दिए -गोल मटोल जैसे भूमंडल -ग्लोब , एक बार घुमा दो तो लट्टू जैसे घूमते रहते हैं --
फिर मिलेंगे
बाबा भ्रमर देव
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२६.०६.२०११
जल पी बी
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
10 comments:
तरबूज की सार्थकता को कहती अच्छी रचना
तरबूज पर सुन्दर बाल कविता .आभार
आदरणीया संगीता जी हार्दिक अभिवादन हां ये तरबूजा भी हम बच्चों को बहुत कुछ सिखाता है -अपने गुण -
आभार आप का
भ्रमर ५
शिखा कौशिक जी अभिवादन -सच कहा आप ने बच्चों को प्यारा ये तरबूजा उन्हें बहुत कुछ सिखाता भी है आइये हम सब से यों ही सीखते चलें
भ्रमर ५
bahut hi accha shukla ji
उपेन्द्र शुक्ल जी धय्न्वाद आप का -रचना आप को अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ
भ्रमर ५
थैंक्यू अंकल! बहुत सुन्दर कविता है... तरबूजे के इन्ही गुणों पर आधारित पहेलियाँ हम बच्चे अक्सर सुनते और सुनाते रहतें हैं... इन्हें कविता के रूप में पढ़कर मज़ा आया।
प्रिय रुनझुन आप को अच्छा लगा तो हमें भी आनंद आया हाँ पहेलियाँ भी बड़ी प्यारी होती है न -हमें सब से अच्छे कोमल सुन्दर गुण सीखने चाहिए
आभार आप का -बधाई भी
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर ब्लाग ||
बच्चों के लिए लेखन कार्य
वास्तविक चैलेन्ज ||
बधाई ||
आदरणीय रविकर जी हार्दिक आभार आप का बच्चों की रचनाओं और इस ब्लॉग को आप का समर्थन मिला ख़ुशी हुयी अपना सुझाव् व् समर्थन भी देते रहें
सच कहा आप ने-नन्हे मुन्ने बच्चे बन लिखना संयम से बहुत कठिन है
आभार आप का पुनः
शुक्ल भ्रमर ५
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