चंगू मंगू की कहानी
बारिस के इस झमा -झम मौसम में हमारी तरह से ही सब आनंदित होते है- मजे लेते हैं- सब की अपनी अलग दुनिया देखने की अलग आँखें होती हैं उसी चीज को -आइये इन बच्चों चंगू -मंगू से हम भी बहुत कुछ सीखें -आनंद की अनुभूति करते बढ़ते चलते रहें इस जीवन के कठिन राहों में -
दर्द को भुलाएँ -दर्द का अहसास न करे -मुस्काएं -
(फोटो गूगल /नेट से १२३ बी आर यफ से साभार )
बारिस के इस झमा -झम मौसम में हमारी तरह से ही सब आनंदित होते है- मजे लेते हैं- सब की अपनी अलग दुनिया देखने की अलग आँखें होती हैं उसी चीज को -आइये इन बच्चों चंगू -मंगू से हम भी बहुत कुछ सीखें -आनंद की अनुभूति करते बढ़ते चलते रहें इस जीवन के कठिन राहों में -
दर्द को भुलाएँ -दर्द का अहसास न करे -मुस्काएं -
(फोटो गूगल /नेट से १२३ बी आर यफ से साभार )
मिटटी जरा उभारे निकला
झाँक के देखा -इधर उधर
पीला-पीला गाल फुलाए
टर्र टाँय करता बाहर !!
————————–
उछल कूद के फुदक -फुदक कर
माँ के अपने पास गया
सुप्रभात माता श्री कहकर
पहले उनका नमन किया !!
—————————-
बोली बेटे क्या विपदा है
आँखें क्यों छलकी हैं तेरी
क्या हमसे कुछ कमी हुयी है
चिंता बढती देख के मेरी
—————————-
मंगू फिर रो रो कर बोला
माँ देखो न झम झम बारिस
खेत बाग़ सब भरा पड़ा
गर्मी से मै तप्त हूँ माता
मिटटी में था दबा पड़ा !!
चंगू ने शैतानी की थी
ऊपर चढ़ था लदा खड़ा !!
————————–
गाल फुलाए बड़ा सा मेढक
टर्र टाँय करता आया
बोला बेटा अरे अरे हे !
एक हाथ ना बजती ताली
उसने ही क्या किया सभी कुछ
बात नहीं ये मानने वाली
—————————–
पिता श्री मेरी भी गलती -
थोड़ी -मै बतलाता हूँ
मात -पिता से क्या गलती मै
अपनी कभी छिपाता हूँ !!
——————————–
छोटे -छोटे बच्चों से चंगू ने
उधम रार-मचाया था
दौड़ -दौड़ वे हांफ रहे थे
उनको बहुत रुलाया था !!
————————–
तब मैंने भी दौड़ा उसको
पानी में था ठेल दिया
जब भी सिर वो जरा निकाले
कूद उसी पर- बैठा था !!
—————————–
इसी बात पे क्रोधित हो वो
बातें मुझसे बंद किया
जब मिटटी मै घुस सोया तो
चढ़ा -लदा- वो बंद किया !!
—————————-
बे काम का बुरा नतीजा
भूल गए क्या कहती नानी
बच्चे हो पानी -शैतानी
अच्छी बहुत नहीं होती
घर आ के आराम करो अब
माँ तेरी चिंता में रोती!!
—————————–
बारिस का था कहर बहुत ही
टी. वी .देखे सहम गए
टर्र टाँय कर फुदक फुदक फिर
तीनो घर में दुबक गए !!
—————————–
झाँक के देखा -इधर उधर
पीला-पीला गाल फुलाए
टर्र टाँय करता बाहर !!
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उछल कूद के फुदक -फुदक कर
माँ के अपने पास गया
सुप्रभात माता श्री कहकर
पहले उनका नमन किया !!
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बोली बेटे क्या विपदा है
आँखें क्यों छलकी हैं तेरी
क्या हमसे कुछ कमी हुयी है
चिंता बढती देख के मेरी
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मंगू फिर रो रो कर बोला
माँ देखो न झम झम बारिस
खेत बाग़ सब भरा पड़ा
गर्मी से मै तप्त हूँ माता
मिटटी में था दबा पड़ा !!
चंगू ने शैतानी की थी
ऊपर चढ़ था लदा खड़ा !!
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गाल फुलाए बड़ा सा मेढक
टर्र टाँय करता आया
बोला बेटा अरे अरे हे !
एक हाथ ना बजती ताली
उसने ही क्या किया सभी कुछ
बात नहीं ये मानने वाली
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पिता श्री मेरी भी गलती -
थोड़ी -मै बतलाता हूँ
मात -पिता से क्या गलती मै
अपनी कभी छिपाता हूँ !!
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छोटे -छोटे बच्चों से चंगू ने
उधम रार-मचाया था
दौड़ -दौड़ वे हांफ रहे थे
उनको बहुत रुलाया था !!
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तब मैंने भी दौड़ा उसको
पानी में था ठेल दिया
जब भी सिर वो जरा निकाले
कूद उसी पर- बैठा था !!
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इसी बात पे क्रोधित हो वो
बातें मुझसे बंद किया
जब मिटटी मै घुस सोया तो
चढ़ा -लदा- वो बंद किया !!
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बे काम का बुरा नतीजा
भूल गए क्या कहती नानी
बच्चे हो पानी -शैतानी
अच्छी बहुत नहीं होती
घर आ के आराम करो अब
माँ तेरी चिंता में रोती!!
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बारिस का था कहर बहुत ही
टी. वी .देखे सहम गए
टर्र टाँय कर फुदक फुदक फिर
तीनो घर में दुबक गए !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर”५
७.७.२०११ जल पी बी
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
4 comments:
अरे वह बड़ी मजेदार है ....चंगू मंगू की कहानी ....
चैतन्य जी है न मजेदार- बारिस चंगू मंगू उछल कूद टर्र टाँय...हमें भी बहुत मजा आता है ऐसे
भ्रमर ५
bahut acchi rachna hai shukla ji
उपेन्द्र शुक्ल जी चंगू मंगू की कहानी पसंद आई बहुत सी सीख भी मिली सुन हर्ष हुआ -
धन्यवाद आप का
भ्रमर ५
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