(all the photo's taken from google/net for good cause for lovely freinds)
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
जब जब छींके मेरे आती
अम्मा मुझको दौड़ उठाती
टोपी-स्वेटर लादे मुझको
आँचल भर दिल से है लाती
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कभी रजाई कम्बल में घुस
जाने क्या क्या मुझे पिलाती
तुलसी पत्ता अदरक काढ़ा
काली मिर्च व् मधु दवाई
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लौंग नमक हल्दी गुड जायफल
कडवा मीठा पीना पड़ता
नहीं तो नाक से पानी गिरता
गाढ़ा हो पानी कफ बनता
एक बार कफ बना अगर तो
दस दिन वो -छुट्टी कर देता
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सांस फूलती मन ना लगता
जैसे - और कई बच्चों का
पुस्तक सोती घुसकर बस्ता
रोते बैठे - गए -परीक्षा
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ठण्ड से बचकर स्वस्थ रहूँ मै
पढ़ती जाती नित स्कूल
सारा पाठ याद कर लेती
कभी न होती थोड़ी भूल
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आओ बड़ों की बातें माने
ठण्ड से बच सब पहने घूमे
धूल धुएं से बच हम रह लें
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शुक्ल भ्रमर ५
६.०५-६.४५- १.१२.२०११
यच पी
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
18 comments:
सही सन्देश देती रचना ... अच्छी प्रस्तुति
आदरणीया संगीता जी अभिवादन आप की इतनी तीव्र प्रतिक्रिया ने हम बच्चों का दिल जीत लिया ...
रचना आप को प्यारी लगी इस बार कुछ छोटी की ....आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५
इस ठंढ और परीक्षा के मौसम में बीमार होने से बचने की सीख देती अच्छी प्रस्तुति|
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ठंढ और परीक्षा के मौसम में बीमार होने से बचने की सीख ||
सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
मस्तमौले पन से लिखी गयी कवितायें ही बालमन को रुचती हैं.... आपका बाल-काव्य सहज और सरल है... ऎसी सरलता कटाक्ष और व्यंग्य करने वालों में बामुश्किल मिलेगी.
केवल उन्हीं बातों को कविता का विषय बनाना जो स्वानुभूत हो... इस कारण मन को छू लेते हैं वे सारे-के-सारे बिम्ब जो सभी के बचपन की धरोहर हैं.
सुरेन्द्र शुक्ल जी ... बाल-काव्य रचना वास्तव में काफी दुष्कर है... मैंने जब भी प्रयास किया असफलता महसूस की... पर अभी भी अभ्यासरत हूँ...
प्रिय प्रतुल वशिष्ठ जी अभिवादन ..अपने सुझाव और प्रोत्साहन देते रहें यों ही ताकि हम अपने नौनिहाल दोस्तों के लिए कुछ कर सकें ..जैसा की आप ने कहा बच्चों के लिए लिखना बहुत ही कठिन है बाल मन और बचपन में खोना पड़ता है आप सब मित्रों के भरोसे चल पडा हूँ दुवाएं दीजियेगा ..
आप से भी बच्चों के लिए उम्मीदें हैं ..अपनी लेखनी को धार दीजिये ...शुभ कामनाएं
भ्रमर 5
आदरणीया ऋता शेखर 'मधु जी आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..बच्चों के लिए अपना प्यार और प्रोत्साहन यों ही देती रहें
भ्रमर ५
शास्त्री जी अभिवादन इस बाल रचना ने आप के मन को छुवा सुन ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाए रखें
भ्रमर ५
आदरणीय रविकर जी अभिवादन सच कहा आप ने शीत में बच्चों को बचा रखना बहुत जरुरी है
आभार
भ्रमर ५
बहुत ही सुन्दर बाल गीत है..
बहुत बढ़िया .....
रीना जी बच्चों की ये रचना कुछ कह सकी और आप को अच्छी लगी सुन हर्ष हुआ
आभार
भ्रमर ५
भ्रमर जी ,
बाह!!!बच्चों को सीख देती सुंदर सार्थक रचना,...
बधाई ,,,,
मेरे नए पोस्ट में आपका इंतजार है ,...
ठंड से बचने की खूब सारी सीख देती सुन्दर कविता !!!
प्रिय चैतन्य जी रचना आप के मन को भाई सुन ख़ुशी हुयी आइये ठण्ड से बहुत बचें बहुत वर्फ है
भ्रमर ५
आदरणीय धीरेन्द्र जी बाल कविता आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ
भ्रमर ५
प्रिय रुनझुन बड़ी ख़ुशी हुयी ठण्ड से बचने का उपाय अच्छा लगा आओ इस को अपना के बचें
भ्रमर ५
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