कड़क कड़क कर वो गरजेंगे
टर्र -टांय मामा मामी !!
लप-लप लप-लप बिजली चमके
झम-झम झम-झम पानी
हरी चुनरिया धरती ओढ़े
ठुमुक ठुमुक नाचे नानी !!
चातक चीखे पानी -पानी
ताल तलैया सभी भरे
कूदें बच्चे मन में शैतानी !!
भागो -भागो नानी आई
छड़ी हाथ में घूमे
शैतानों की शामत आई
अच्छों का मुख चूमे !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
४.५.२०११
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
10 comments:
बहुत मजेदार है यह कविता ....
प्यारी रचना ..
प्रिय चैतन्य जी बहुत मजेदार है न हम को भी आप के साथ साथ बड़ा मजा आता है आप साथ होते तो झम-झम पानी में फुहार में हम माँ से छुप दौड भीग आते
धन्यवाद प्यारी प्रतिक्रिया के लिए
आदरणीय संगीता जी धन्यवाद आप की प्यारी प्रतिक्रिया के लिए बच्चों को नानी से अधिक कौन पहचानता है कितना नानी के साथ खेल खेल बच्चे उसका ह्रदय गद गद कर देते हैं न
अपना स्नेह बनाये रखें
हमारे यहाँ तो कल भी बरसे थे बदरा।
संदीप जी बड़ी अच्छी बात है सब कुछ शीतल हो जाये बदरा समय से बरसे क्या बात है हम आयेंगे राजस्थान
भ्रमर ५
हेमंत जी बहुत अच्छा लगा बाल दुनिया के प्रचार प्रसार को आप ने अपना समर्थन दिया आप का ब्लॉग बहुत प्यारा है बहुत सी रोचक रचनाएँ जितना पढ़िए देखिये कम है
हमारे इससे जुड़े अन्य ब्लाग भी समय मिले तो आप पढ़ें अपना सुझाव भी दें
भ्रमर का दर्द और दर्पण
भ्रमर की माधुरी
रस रंग भ्रमर का
धन्यवाद
पूनम जी हार्दिक अभिनन्दन आप का यहाँ पर -आइये हमारे अन्य ब्लॉग पर भी -पढ़ें और अपना प्यारा सुझाव दें
भ्रमर का दर्द और दर्पण
भ्रमर की माधुरी
रस रंग भ्रमर का
धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना! मैं तो अपने बचपन के दिनों में लौट गयी! बेहद पसंद आया आपका ये ब्लॉग!
बबली जी बहुत सुन्दर लगा जब आप ने बचपन में खो जाने की बात की बचपन होता ही ऐसा है कहते हैं न की बच्चे बन के जीते रहो प्यार लो प्यार दो जीने का मजा ही बदल जाता है हम तो भाव बिभोर हो आप सब की रचनाओ से छवियों से रो भी पड़ते हैं
आप की बात बड़ी प्यारी लगी
प्रोत्साहन देते रहिये आइये बच्चों के लिए मुस्कराहट लाते रहें
अभिनंदन है आप का यहाँ भी
शुक्ल भ्रमर ५
Post a Comment