मेरा भाई कितना नटखट
डंडा ले बस खट खट
लड़ता मुझको मारे थप्पड़ !!
मम्मी उसे बचाती झटपट
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
डंडा ले बस खट खट
इसे गिराता-उसे उठाता
उछल कूद कर शोर मचाता !!
खाने की बारी जब आती
दूध -निवाला गटगट -गटगट
पढने जब मै पास बुलाती
माँ के आँचल छुपता झटपट !!
ना देखूं तो नयी किताबें
नोचे पन्ने फड-फड फड-फड
बन्दर जैसा बाल पकड़ के
लड़ता मुझको मारे थप्पड़ !!
सूरज तारा -राज दुलारा
मम्मी उसे बचाती झटपट
फूल सरीखा भाई प्यारा
मै भी सहती उसकी खटपट !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
४.५.२०११
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
10 comments:
Bahut hi badhiya...
सुन्दर बालकविता
बेहतरीन प्रस्तुति.
आदरणीय संगीता जी धन्यवाद प्रोत्साहन के लिए आइये सब मिल बाल मन को समझें और इसे अपना प्यार लुटाते रहें
मदन जी धन्यवाद बच्चों की रचना आप को प्यारी लगी आइये हम भी बच्चे बने इनके साथ यूं ही खेलते रहें
Shukla ji, bahut sunder kavita hai. nutkhut man ko choo gaya.
क्या बात है शुक्ल जी, हम तो हिंदी में भी लिख सकते हैं? कभी बताया नहीं.
badi payari hai balkavita .....
सोनी जी हार्दिक अभिनंदन है आप का -
शुक्रिया तहे दिल से आप यहाँ तक पहुंचे -नटखट मन को छू गया आप की बात सुन मजा आ गया
आइये हम भी मुरली की तान छेड़ नटखट बन जाएँ
आइये सब मिल बच्चों की दुनिया को मुस्कुराता हुआ देखें
शुक्ल भ्रमर ५
आदरणीया सुमन जी हार्दिक अभिनन्दन आप का बाल झरोखा में -
बाल मन होता ही ऐसा है इस में खो जाये जो उसे आनंद ही आनंद बस बच्चों सा मन जिसका हो भावनाये समझाने वाला खुश
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
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