गर्मी आई बहे पसीना
नानी ने तरबूज मंगाया
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
नानी ने तरबूज मंगाया
खेल खिलौना उड़ते कैसे-आंधी आई
खेल खिलौना चलो खरीदें गुब्बारे ले हम उड़ जाएँ
शेर व् दुर्गा हाथी साथी क्या क्या बैठे देखो आओ
खली सा कोई यहाँ खड़ा है घोडा बुढिया पानी भरती
जंगल कटे तो भगे हिरन सड़क पे आ के खड़े हुए
गेंडा गर्मी में किया समर्पण -पानी लाओ इस पे डालो
गली के कुत्ते मुझको घेरे रोटी ला के मुझे खिलाओ
रोटी दूध इन्हें भी भाए कोई आ जो इन्हें खिलाये
बड़े बड़े तरबूजे आये चलो खरीदें घर में लायें
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
1 comment:
आदरणीय ब्रिज मोहन श्रीवास्तव जी हार्दिक अभिनन्दन है आप का बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में -अपना स्नेह , सुझाव् समर्थन इसी प्रकार बच्चों के लिए देते रहें कृपया
शुक्ल भ्रमर ५
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