दादी आम नहीं बगिया में
कोयल फिर क्यों गाती है
रहा नहीं रस घूमूँ क्या मै
लू तो बड़ी सताती है !!
वर्षा भी तो नहीं अभी
बदली फिर क्यों छाती है
ठंडक पूंछ दबाकर भागी
किरणें अब क्यों आती हैं !!
गर्मी बहुत- घड़े का पानी
ठंडा इतना क्यों होता ??
गरम हवा- स्कूल से आती
पंखा ठंडा क्यों देता ??
दादी मुझको सब समझा दो
बरफ अभी कैसे बनती
कड़ी धूप में पेड़ खड़े जो
पत्ती हरी है क्यों रहती !!
(All photos taken from googal/net with thanks for a good cause)
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
6 comments:
सब बच्चों को प्यार भरी लूलू लूलू ...
प्रतुल वशिष्ठ जी -अले ले ले कितना छुन्दल बात बोले -मजा आई गवा
धन्यवाद आप का
शुक्ल भ्रमर ५
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! शुभकामनायें
हाँ बड़ा सताती है लू..... प्यारी कविता
मदन भाई नमस्कार प्रोत्साहन के लिए आभार
चैतन्य जी सच्ची बात है न फिर तो लू बड़ी सताती है -बच के रहना रे बाबा -आप के वहां तो सब कूल कूल होगा ??
है न -
भ्रमर का दर्द और दर्पण में भी आप पधारे -ख़ुशी हुयी अपना सुझाव व् समर्थन वहां भी दें -
शुक्रिया
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