BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA

Wednesday, June 22, 2011

आओ बच्चों चित्र बनायें



                                              कविता शुक्ल द्वारा -गाँव का मंदिर पगडण्डी 




                                   सत्यम शुक्ल द्वारा -ये गुलाब का फूल खिला है आओ खुश्बू ले लो


                                                                    कविता शुक्ल द्वारा-आओ गाँव की सैर कराएँ
हल जोता जा रहा है -उधर फसल भी कट गयी ढोई जा रही है ....








                             अरे रे नाम लिखने के चक्कर में -अध्यापक जी का चेहरा ही बंद -माफ़ करना


                                          कविता शुक्ल द्वारा -अब सुन्दर साड़ी का किनारा बनाओ 



                            कविता शुक्ल द्वारा- अरे ये वीरबल की खिचड़ी नहीं आप के लिए चाय बना रही हूँ






                   कविता शुक्ल द्वारा -अरे डरो मत बाबा - ये सुखा नहीं ठूंठ नहीं हुआ पतझड़ आ गया था न !!!




                                           देखो न क्या प्रकृति का नजारा ले रही हैं मन मोहिनी -कविता





     कविता शुक्ल द्वारा -अरे इतना भी मत सोचो क्या जेम्स वाट सा इंजन बनाना है क्या ???

हमें तो कला बहुत प्यारी है आओ अपनी अपनी पेन्सिल रंग  तूलिका  - ब्रश उठाओ और ये .......ये ......बन गयी पेंटिंग ..............
मजा आया न ??

बच्चों अब आप भी अपना अपना चित्र  बना कर भेजो हम यहाँ लगायेंगे 
हमारे चिटठा का पता है 
skshukl5@gmail.com





बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया ... अच्छे लगे चित्र


यहाँ भी देखें -


आकाश को पाना है , फिर सूरज मेरी मुट्ठी में ...

upendra shukla said...

बहुत अच्छा शुक्ल जी !मेरे ब्लॉग पर् भी आये my blog link- "samrat bundelkhand"

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया संगीता जी धन्यवाद आप का बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिए -


आकाश को पाना है , फिर सूरज मेरी मुट्ठी में ... आकाश को पाने तो हम अवश्य आ रहे हैं ...

22 June 2011 12:14 पम

शुक्ल भ्रमर ५

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

उपेन्द्र शुक्ल जी बच्चों के बनाये चित्र को प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद -आ रहे हैं हम - शुक्ल भ्रमर ५