कविता शुक्ल द्वारा -गाँव का मंदिर पगडण्डी
सत्यम शुक्ल द्वारा -ये गुलाब का फूल खिला है आओ खुश्बू ले लो
कविता शुक्ल द्वारा-आओ गाँव की सैर कराएँ
हल जोता जा रहा है -उधर फसल भी कट गयी ढोई जा रही है ....
अरे रे नाम लिखने के चक्कर में -अध्यापक जी का चेहरा ही बंद -माफ़ करना
कविता शुक्ल द्वारा -अब सुन्दर साड़ी का किनारा बनाओ
कविता शुक्ल द्वारा- अरे ये वीरबल की खिचड़ी नहीं आप के लिए चाय बना रही हूँ
कविता शुक्ल द्वारा -अरे डरो मत बाबा - ये सुखा नहीं ठूंठ नहीं हुआ पतझड़ आ गया था न !!!
देखो न क्या प्रकृति का नजारा ले रही हैं मन मोहिनी -कविता
कविता शुक्ल द्वारा -अरे इतना भी मत सोचो क्या जेम्स वाट सा इंजन बनाना है क्या ???
हमें तो कला बहुत प्यारी है आओ अपनी अपनी पेन्सिल रंग तूलिका - ब्रश उठाओ और ये .......ये ......बन गयी पेंटिंग ..............
मजा आया न ??
बच्चों अब आप भी अपना अपना चित्र बना कर भेजो हम यहाँ लगायेंगे
हमारे चिटठा का पता है
skshukl5@gmail.comबच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
4 comments:
बहुत बढ़िया ... अच्छे लगे चित्र
यहाँ भी देखें -
आकाश को पाना है , फिर सूरज मेरी मुट्ठी में ...
बहुत अच्छा शुक्ल जी !मेरे ब्लॉग पर् भी आये my blog link- "samrat bundelkhand"
आदरणीया संगीता जी धन्यवाद आप का बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिए -
आकाश को पाना है , फिर सूरज मेरी मुट्ठी में ... आकाश को पाने तो हम अवश्य आ रहे हैं ...
22 June 2011 12:14 पम
शुक्ल भ्रमर ५
उपेन्द्र शुक्ल जी बच्चों के बनाये चित्र को प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद -आ रहे हैं हम - शुक्ल भ्रमर ५
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