BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA

Sunday, May 1, 2011

बच्चा होता है - माँ के दिल का कोना (मातृ रूपेण संस्थिता )


माँ हमारी जननी - जगद्जननी  है  उसकी प्रशंसा में जितना भी लिखा जाय सब कम है
या देवी सर्व भूतेषु  मातृ  रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

बच्चा होता है -
माँ के दिल का कोना

 एक माँ के ममता
में है बच्चों को
संस्कारी बनाने की क्षमता !
जब आती है -
बच्चों को माँ की याद
हो जाती है बच्चे से
माँ की बात !!
बच्चा होता है
माँ के दिल का कोना
माँ को आता नहीं
बच्चे से बिछड़कर सोना !!
बच्चे की मदद करने को
माँ रहती है तैयार !
बच्चे की सुरक्षा के लिए
हरदम रहती है होशियार !!
बच्चे के सुख के लिए
हर दर्द सहती !
और उसकी रक्षा   के लिए
कुछ भी कर सकती !!
बच्चे की छोटी से बड़ी
 गलती को करती है वो माफ़ !
उसके मन में भर उजियारा 
चंदा जैसे उजला उजला
रोशन करती दुनिया सारी  
सदा ही रखती साफ़  !!

(सत्यम शुक्ल द्वारा लिखित
 सुरेन्द्र  कुमार शुक्ल भ्रमर५
१.५.२०११ 



बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --

6 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

माँ ऐसी ही होती है ...सुन्दर रचना

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीया संगीता जी नमस्कार बहुत सही कहा आप ने ये हमारे बेटे के माँ के प्रति उद्गार थे जिसे आप की प्यारी प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा सच में माँ की ममता का कोई मोल नहीं ..
धन्यवाद

मदन शर्मा said...

आपकी कविता में व्यापक संदेश निहित है। बहुत सुंदर रचना ... पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ. मेरे ब्लॉग पर आयें.आपका हार्दिक स्वागत है....

मदन शर्मा said...

आपकी कविता में व्यापक संदेश निहित है।

मदन शर्मा said...

आपकी कविता में व्यापक संदेश निहित है।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय मदन जी नमस्कार -
आप का बाल झरोखा-सत्यम की दुनिया में स्वागत है -आइये और अन्य ब्लॉग हमारे पढ़ें अपना सुझाव मार्गदर्शन दें
आप की जीवनी आप के बारे में पढ़कर बड़ी शांति मिलती है -धर्म के नाम पर लड़ना लोगों की आदत बन चुकी है कौन तर्क से मन जीतना चाहता है सच जब तर्क आप का जीतने लगे तो लोग पाँव सर पे रख भाग खड़े होते हैं
इस रचना का शीर्षक ही बड़ा प्यारा है जो सब कह जाता है
प्राण जला कर हम देखेंगे क्यों कर प्रकाश नहीं होता