आँखे खोलो प्यारे -
हंसकर जा मुह धो लो
(photo with thanx from googal/net)
निशा गयी उठ देखे -
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निशा गयी उठ देखे -
कैसे सूरज आता
भजन पाठ व्यायाम करे -
जो भी तुझको भाता !!
नहीं बहाना झगडा करना
बच्चों नित जाना स्कूल
रोज नहाना टहला करना
तन-मन की धोना तुम धूल !!
उधम तोड़ फोड़ मत करना
लालच ना कर सब को देख
मन से रोज पढाई करना
समय मिले जब खेलो खेल !!
मीठे बोल - न झूठ बोलना
सच्ची टीचर मम्मी कहते
होम वर्क कर सीख न आता
सब लीचड़ उसको ही कहते !!
शिष्ट आचरण सबसे रखना
दुखी अपाहिज पर मत हँसना
आत्म शुद्धि जब माने भूल !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
प्रतापगढ़ उ.प्र.
१९.५.२०११
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --