अपने इस चमन के दो निराले और प्यारे प्यारे फूल , इन्हें नमन और हार्दिक श्रद्धांजलि
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी -जन्मदिन 2 अक्टूबर 1869 काठियावाड़ पोरबंदर गुजरात - मृत्यु - नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारने से 30.जनवरी 1948 दिल्ली (भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति दिलाने में हमारे शहीदों के साथ महान योगदान , अहिंसा के मतवाले , छुआ-छूत भेद भाव मिटाने वाले , अमन चैन फैलाने वाले , सत्य और अहिंसा के प्रयोग और आत्म-शुद्धि के प्रसार कर्ता )
प्रिय लाल बहादुर शास्त्री भारत के तीसरे और स्थायी तौर पर दूसरे प्रधानमंत्री -जन्म दिन 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय उत्तर प्रदेश -देहावशान रहस्यमय ताशकंद में 11 जनवरी 1966 ,लाल बहादुर शास्त्री न केवल एक महान नेता थे, बल्कि राष्ट्रीय खजाना भी थे। वह प्रेम करने वाले व्यक्ति थे इमान की प्रतिमूर्ति थे और मेरा और कई लोगों का मानना है कि वे देश के प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ थे।
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी -जन्मदिन 2 अक्टूबर 1869 काठियावाड़ पोरबंदर गुजरात - मृत्यु - नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारने से 30.जनवरी 1948 दिल्ली (भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति दिलाने में हमारे शहीदों के साथ महान योगदान , अहिंसा के मतवाले , छुआ-छूत भेद भाव मिटाने वाले , अमन चैन फैलाने वाले , सत्य और अहिंसा के प्रयोग और आत्म-शुद्धि के प्रसार कर्ता )
प्रिय लाल बहादुर शास्त्री भारत के तीसरे और स्थायी तौर पर दूसरे प्रधानमंत्री -जन्म दिन 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय उत्तर प्रदेश -देहावशान रहस्यमय ताशकंद में 11 जनवरी 1966 ,लाल बहादुर शास्त्री न केवल एक महान नेता थे, बल्कि राष्ट्रीय खजाना भी थे। वह प्रेम करने वाले व्यक्ति थे इमान की प्रतिमूर्ति थे और मेरा और कई लोगों का मानना है कि वे देश के प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ थे।
आओ बच्चों हम भी
गांधी-लाल-बहादुर बन जाएँ
"लाल" बनें जो भारत माँ के
सब अनीतियाँ टल
जाएँ !!
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सत्य अहिंसा ईमाँ
शासन
छुआ-छूत ना भेद
रहे
चिड़ियों सा
उन्मुक्त फिरें हम
प्रेम सुशासन जग
लायें !
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चरखा-खादी-आजादी
ने
कैसे - कैसे रंग दिखाया
कितने कष्ट सहे
लालों ने
हमको
"ऐसे" गले मिलाया !
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संत -फ़कीर ऋषि
मुनि ‘इन’ से
आओ ‘हम’ भी चोला रंग लें
अच्छाई करुणा अनुशासन
सत्य , अहिंसा, समता व्रत लें !
'काँटा' दुनिया हमें कहे भी ना विचलित हों
फूल' चमन की रक्षा करके खुशियाँ भर दें
गुल-गुलशन इस खिले
चमन में खुश्बू ले के
गुन -गुन
करते' भ्रमर' सा उड़ सन्देशा दे दें !
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'प्रेम' से जग को जीत सकें हम अटल सत्य ये
आत्म-शुद्धि कर हर दिल राज करें भाई
लहरे गंगा, फहर-फहर फहराए
तिरंगा
भेद भाव ‘हर’ बनें एक तो पायें सच्ची आजादी !
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गांधी -बापू
राष्ट्र -पिता तुम
'लाल' बहादुर सच्चे लाल
'अमर' सदा तुम माँ के प्यारे
जन-गण मन में तेरा
राज !
अमन चैन के उड़ें
कबूतर
शान्ति -शान्ति
अपना पैगाम !
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सुरेन्द्र कुमार
शुक्ल 'भ्रमर'५
कुल्लू यच पी
०२.१०.२०१२
७.३०-८ पूर्वाह्न
ब्लागर -प्रतापगढ़ उ.प्र.
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
3 comments:
बापू को नमन ...बहुत सुंदर सन्देश लिए कविता
प्रिय चैतन्य जी आप ने इस रचना को मान दिया भारत माँ के लाल को नमन और श्रद्धांजलि हम भी आप के साथ देते हैं आभार
भ्रमर ५
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 30 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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