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सूरज से हम रहें चमकते
चम् -चम् - चम्- चम्
इतनी उर्जा भरी हुयी
जहाँ निकलते जीवन देते
सब को दम - ख़म
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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माँ धरती मुस्काए कहती
सदा निछावर हम पर रहती
प्रात उठे हम उन्हें उठाते
मुस्काते अंगडाई ले के
नयी चेतना नवल सृजन से
रश्मि -प्रभा ज्यों कमल खिलाते
रग रग -भक्ति भाव भर जाते
जोश दिए प्रेरित कर जाते
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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उठो लाल हे अमर सपूतों
ताल से ताल मिला कर चल दो
कुछ अनीति दुर्गुण दुराव जो
मन से अपने बाहर कर दो
गले लगे गोदी चढ़ उनके
मूल -मन्त्र हंस -हंस सिखलाते
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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सत्य अहिंसा संस्कार से
सज्जित -सज्जन-मन तन रख के
हाथ पाँव मारे जग खेले
अहम् क्रोध ईहा लिप्सा से
बच मानव -मानवता रचते
हम बच्चों सा -सब का हो ले
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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मुस्काते हम उन्हें हंसाते
भरें कोष -ना-सभी लुटाते
पीड़ा उनकी सब हर जाते
नजर मिले -हर सुख दे जाते
तुम पावन हो - ईश तुम्ही हे !
निर्मल मन हम उन्हें दिखाते
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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हम बच्चे सच्चे हैं मन के
भेद भाव माया सब भूले
बन बच्चे हंसकर तो देखें
सहज सुगम फिर सब जीवन में
सूरज को फल समझे -खाने -
दौड़ें -आसमान पर विजय करें
या चन्दा को बना खिलौना
शनि -मंगल पर उड़ें चलें
हम बच्चे सच्चे हैं मन के
फूल के जैसे प्यारे हम
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all the photos taken from google devta/net with thanx
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
१७.०७.२०११ जल पी बी ७.३० पूर्वाह्न
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --