सपने कितने बदल गए हैं
पहले कितनी परियां आतीं
गोदी मुझे उठातीं
जंगल पर्वत सैर कराती
तोता मोर हंस चातक संग
भालू शेर दिखाती
नदियाँ झरने कल कल कल कल
और हिमालय वर्फ दिखातीं
देवदूत से मुझे मिलाकर
रसगुल्ला बिस्कुट टाफी सब
दे दे मुझे हंसाती
सोने का पलना चन्दन का झूला
लोरी मुझे सुनातीं
गुमसुम खोया जो रहता मै
मुस्काता हंस देता
उस पर माँ का दौड़ चूमना
और मजा था देता
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अब तो इतनी ढेर किताबें
आर्कमिडीज न्यूटन आते
जाने कितने शोध करे वे
बड़े "सीरियस" हो जाते
कोई रेडिओ टी .वी. गढ़ता
कोई बिजली - इलेक्ट्रान
कोई एटम बम सिखलाता
लिए मिसाइल फुर्र उड़ जाता
कोई फाईटर प्लेन बिठा के
पाइलट मुझे बनाता
कोई मोबाईल और राडार की
क्रान्ति हमें समझाता
सागर के अन्दर जहाज में
ले जा क्या क्या दिखलाता
सीपी- मोती -ह्वेल - आक्टोपस
रंग -बिरंगी मछली दिखती
तैर -तैर कर उछल उछल कर
मन मेरा खुश कर ही देती
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रात रात भर जाग जाग मै
पढता -पढ़ता सो जाता
ब्लैक बोर्ड कंप्यूटर दिखते
बड़-बड़ कर मै गणित लगाता
टेस्ट-परीक्षा घेरे मुझको
बादल जैसे कभी डराते
मम्मी प्यार से गोदी भर फिर
माथा मेरा सहलाती
पलक उघारे देख उन्हें मै
सो जाता - जब लोरी गातीं
राजा मेरे लाल बनेगे
और परी सी होगी रानी .....
चुनमुन चिड़िया चंदा मामा
बन्दर तारे प्यारे सारे
होंगे सब बाराती
छोटे छोटे बौने "जादू "
खेल खिलाते सब हँसते
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शुक्ल "भ्रमर"५
६-६.४०
१५.११.२०११ मंगलवार
यच पी
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --