taken from facebook for lovely children with thanks,,,Bhramar5 बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
वसुधैव कुटुम्बकम.आइये हम बच्चों की दुनिया"बाल-झरोखा" सत्यम की दुनिया(BAAL-"JHAROKHA"-SATYAM KI DUNIYA)में आप भी बच्चे बन खेलिए न,अपना आशीष दीजिये,कि कल हम आप सब का नाम रोशन कर सकें,इस समाज में कुछ योगदान दे सकें,हम नन्हे मुन्ने- आप की फुलवारी के फूल की खुश्बू हैं- आप के मन की कविता हैं -एक सत्य हैं , अपने गुलदस्ते में हमें सजाइए, शीतल जल से सींचिये गिरीश कुमार शुक्ल "सत्यम" सभी फोटो साभार किसी अन्य स्रोत से -मेरी बातें मेरे पूज्य पिता शुक्ल"भ्रमर" जी आप सब तक पहुंचाएंगे-जय हिंद
BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA HAM NANHE MUNNON KA
Tuesday, August 20, 2013
आइये मेरे नन्हे मुन्ने दोस्तों इन जांबाज से मिलिए ,,,प्ले एंड सी वीडिओ
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Wednesday, August 14, 2013
कदम ताल से धरती कांपी- चले हिन्द के वीर
कदम ताल से धरती कांपी- चले हिन्द के वीर
कदम ताल से धरती कांपी
चले हिन्द के वीर
लिए तिरंगा चोटी चढ़ के
गरजे ले शमशीर .............
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भारत माँ ले रहीं सलामी
खुशियों का सागर उमड़ा
गले मिले सन्तति सब उनकी
ह्रदय कमल खिल-खिला पड़ा
कदम ताल से धरती कांपी ................
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भारत माँ हैं जान से प्यारी
संस्कृति अपनी बड़ी दुलारी
प्रेम शान्ति का पाठ पढ़े हम
अनगिन भाषा खिले हैं क्यारी
कदम ताल से धरती कांपी ................
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नई नई नित खोज किये हम
विश्व गुरु बन दुनिया पाठ पढाये
वसुधा सागर गगन भेद के
सूक्ष्म ,तपस्या , योग सिखाये
कदम ताल से धरती कांपी ................
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हम स्वतंत्र हैं प्रजातंत्र है
अपना सब का प्यारा राज
यहाँ अहिंसा भाईचारा नीति नियम है
सभी मनाएं भाँति -भांति हिल-मिल त्यौहार
कदम ताल से धरती कांपी ................
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शेर हैं हम नरसिंह है हम वीर बड़े हैं
अर्जुन एकलव्य से हैं तो भीष्म अटल हैं
कायर दुश्मन वार कभी पीछे करते हैं
लिए तिरंगा छाती चढ़ते वीर हमारे अजर अमर हैं
कदम ताल से धरती कांपी ................
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प्रेम शान्ति का पाठ पढो हे दुनिया वालों
ना कर तांडव नाश सृष्टि का इसे बचा लो
ज्ञान दंभ पाखण्ड लूट बेचैनी से तुम घिरे पड़े हो
अन्तः झांको ,ज्वालामुखी धधकता 'स्व' को अभी बचा लो
दूध की नदिया सोने चिड़िया से गुर सीखो
कल्पवृक्ष भारत अगाध है प्रेम लुटाना लेना सीखो
कदम ताल से धरती कांपी ................
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
प्रतापगढ़ भारत
कुल्लू -हिमाचल
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
Location:
Pratapgarh City, Uttar Pradesh, India
Monday, June 24, 2013
अम्मा दौड़ो छाता लाओ
अम्मा दौड़ो छाता लाओ
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रिम-झिम रिम-झिम बारिस आई
फूलों पौधों को नहलाई
मंद-मंद पुरवाई आई
झूमे तरु सब पौधे डाली
भोर उठा चिड़ियों संग गाया
देख प्रकृति मन खुश हो आया
हरी घास सब खेत बाग़ वन
परछाई जल में उलटे सब
कागज़ मोड़ा नाव चलाया
खेत बाँध मै नदी बनाया
मेढक दादुर मोर शोर था
नाच रहा मन-मोर जोर था
अम्मा दौड़ो छाता लाओ
मुझको बस तक तो पहुँचाओ
नहीं तो लथ-पथ हो जाऊंगा
सर्दी बुखार ले घर आऊँगा
अच्छीं अच्छीं छींकें आतीं
सिहरन ज्वर अलसाई आती
पुस्तक दोस्त बनाये दूरी
मेरे कारण रात-रात तू जागे पूरी
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छवियाँ गूगल/नेट से साभार
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छवियाँ गूगल/नेट से साभार
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
14.06.2013
5.30-6.0 A.M.
कुल्लू हिमाचल
भारत
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
Location:
Kullu, Himachal Pradesh, India
Wednesday, May 22, 2013
आओ बच्चों शीतल कर दूं
सारी गर्मी पल में हर लूं
अपने जैसा हरा भरा कर
चेहरा कर दूं लाल टमाटर
पल में सोख पसीना लूं मै
जेठ दुपहरी में तरुवर हूँ
हर पिपासु का कुआँ बड़ा हूँ
कुआँ बड़ा पर द्व़ार खडा हूँ
देखो कुआँ मगर मै आया
मन में ज़रा अहम् ना लाया
तुम भी सब की प्यास मिटाओ
बढे चलो तुम ना शरमाओ
मेरे जैसा शीतल रह के
मन मिठास दिन प्रतिदिन भर के
तरबूजे सा मीठा बन के
दिल अजीज सब के तुम बन के
दुनिया में परचम लहराओ
भर मिठास मुस्कान खिलाओ !
सत्यम शुक्ल
2 2 मई २01 3
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
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