तितली रानी की मनमानी
ट्विंकल बैठा पहरा देने
करने फुलवारी रखवाली
आज न चलने दूंगा तितली
तेरी कोई भी मनमानी
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दिन भर मेहनत मै करता हूँ
तुम पराग मधु खुश्बू लेकर
उड़ जाती हो यहाँ वहां
पीछे पीछे दौड़ भाग मै
रहूँ बैठ बस यहाँ खीझता
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रंग विरंगी तितली आयीं
हाँफ हाँफ कर फूल छिपाता
चिपक चिपक पौधों से जाता
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माँ निकली फिर हँस हँस खोयी
बालक की नादानी
प्यार से चूमा माथा उसका
कहने लगी कहानी
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चिड़िया सरिता का पानी पीती
सरिता कभी ना घटती
तुम इतना पढ़ते रटते हो
क्या विद्या है घटती ??
दान पुन्य पुरुषार्थ सभी
खर्च किये है बढ़ता
तितली खुश्बू मधु ले जाती
खुश्बू सुन्दरता ना घटती
ऐसे ही हम बड़े लोग भी
"रक्त-दान" करते हैं
देखो कितना जोश भरे है
और मरीज को होश दिए है
"खून" हमारा फिर बढ़ जाता
सब का जीवन भी बच जाता
ट्विंकल मन में फिर खुश होकर
तितली के संग खेला
और लगाए फूल थे जी भर
भर उमंग फिर उसको सींचा
रंग बिरंगी तितली आयीं
और लगा फिर मेला
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शुक्ल भ्रमर ५
५.४५-६.०४ पूर्वाह्न
१५.११.२०११ मंगलवार
यच पी
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
8 comments:
बहुत सुंदर बाल गीत
बाल कविता में छुपे बड़े बड़े संदेश!
आदरणीया संगीता जी ये बाल गीत आप को प्यारा लगा बच्चों के लिए आप का समर्पण और त्वरित प्रतिक्रिया से मन खुश हुआ
आभार
भ्रमर ५
आदरणीया ऋता शेखर मधु जी अभिवादन इस बाल गीत में आप ने छुपे सन्देश देखे कविता बच्चों की ये आप को प्यारी लगी सुन हर्ष हुआ
आभार
भ्रमर ५
अच्छी लगी प्यारी सी कविता.....
प्रिय चैतन्य जी बड़े दिन बाद आप का मुस्काता चेहरा दिखा मन अभिभूत हुआ आते रहना ..
जय श्री राधे
भ्रमर ५
बहुत संवेदनशील रचना,बहुत ही सुंदरप्रस्तुति
आपका
सवाई सिंह{आगरा }
प्रिय सवाई सिंह जी जय श्री राधे , रचना पर आप का प्रोत्साहन मिला ख़ुशी हुयी -आभार
भ्रमर ५
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