प्रिय दोस्तों और सम्माननीय प्रबुद्ध जन ये रही मेरे कालेज में आयोजित बारहवीं कक्षा से विदाई की छवियाँ ( सामने से तीसरी पंक्ति में बाएं से दूसरा मै आप का सत्यम ) जिसे मै आप सब से सांझा कर रहा हूँ , आप सब बड़े, छोटे कृपया अपना आशीष दें ताकि पढ़ाई में मन लगे एकाग्रता बने और मै परीक्षा में खरा उतरूँ,विदाई तो अश्रुपूर्ण होती ही है जिसके साथ खेला, खाया , चिढ़ा , चिढ़ाया, चुहलबाजी, कैसे उसे छोड़ा जाए लेकिन आगे जहां और भी है आइये चलते चलें बढ़ते फलते फूलते एक दूजे को सहारा देते ...
सभी दोस्तों को मेरा प्रेम भरा नमस्कार और सभी बड़ो को प्रणाम .....जय माँ शारदे वर दे वीणा वादिनि
जय श्री राधे
सत्यम शुक्ल (गिरीश कुमार शुक्ल)
द्वारा सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५
रायबरेली उ. प्रदेश
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
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