बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
मेरा तोता
(छवि-फोटो साभार-धन्यवाद के साथ अन्य स्रोत से )
जो कुछ खाता उसको देता
संग बतियाता संग में सोता
मेरा तोता
(छवि-फोटो साभार-धन्यवाद के साथ अन्य स्रोत से )
जो कुछ खाता उसको देता
संग बतियाता संग में सोता
उसी जगह-घर-जहाँ मै होता
नहीं कहा-दुर-देता जाता
जाति-नीच-बैठे बस खाता
साध यही -घर आये -खाए
दे आशीष न शोर मचाये
डरता हूँ ना वो रट लाये
कैद किया इसने मन भाए
हरा देख अब कुछ पछताए
साथ खोजकर -उड़ ना जाये
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
पटना २४.३.1993
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