अम्मा -जला -इधल आओ न
देखो छामा आई
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बन्ती घूम लहा पीछे है
छाला दूध पिलाई !
अम्मा आटा गूंथ रही थी
आटा - हाथ लगाये दौड़ी
गाल में मुन्नी के वो आटा
हंसती जरा लगायी !!
सच श्यामा मेरी गैया ने
बंटी1 को - सारा दूध पिलाया !!
ये छब छाले अच्छे ना हैं
कौवा लोटी ले के भागे
बंटी दूध पिए उछले है
मोती2 बैठा ताके !
जब जब अम्मा लिए कटोली
घल से -मै- बाहल निकलूं
बिल्ली मौछी भी आती हैं
दूध-हमाला- पी जाती
दस -दस चूहे उछल भाग कल
हमें चिढाते -काट किताबें
अपने बिल में घुस जाते
मौछी को भी प्याल हुआ है
चूहों को है दोस्त बनाया
बैठी देखें चूहों ने है खूब छकाया
बेटी की तुतली बातें सब
अम्मा का मन जीतें
काम काज सब छोड़े आतीं
बार-बार बस चूमें !
ऐसी ही तितली थी वो भी
उडती फिरती घर आँगन
बापू के काँधे पे बैठी
उछले छूती चाँद गगन !
बैठ खेलती धूल आज भी
तुतलाती-हंसती -रोती
मुन्नी के संग गुडिया गुड्डा
छुपा -छुपी सब खेले जाती
मेरे आँगन की तुलसी वो
दिया जला उजियारा फैला
जैसे चाँद गगन में देखो
अठखेली कर -हर मन पैठा !
पांच साल जब मुन्नी ना थी
कितना सूना लम्बा दिन
नैन हमारे रहे बरसते
अँधियारा था कृष्ण पक्ष सा मेरा मन !
लिए बलैयां गोद उठाये
भरे अंक अब लहर -लहर वो
सागर-सीपी-मोती पाए
अमृत प्याला बचपन का
बस -पी-पी जाये
ले ले ले –मेली- प्याली बेती
धूल है फिल से आज लपेती
लुक जा मै छुक-छुक कल आऊँ
छुक -छुक गाड़ी तुझे घुमाऊँ
लोना- ना -आ मै नहलाऊँ
छप -छप पानी मजा लगाऊं !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
बंटी1(बछड़ा)
मोती2 (कुत्ता)
जय हिंद जय भारत
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
2 comments:
कितनी प्यारी कविता ......
चैतन्य जी सुप्रभात आप आये बहार आई आप का भोला मुस्काता चेहरा देख ही मन को चैतन्य आ जाता है कविता आप को प्यारी लगी सुन मन खुश हुआ
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
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