आओ बच्चों शीतल कर दूं
सारी गर्मी पल में हर लूं
अपने जैसा हरा भरा कर
चेहरा कर दूं लाल टमाटर
पल में सोख पसीना लूं मै
जेठ दुपहरी में तरुवर हूँ
हर पिपासु का कुआँ बड़ा हूँ
कुआँ बड़ा पर द्व़ार खडा हूँ
देखो कुआँ मगर मै आया
मन में ज़रा अहम् ना लाया
तुम भी सब की प्यास मिटाओ
बढे चलो तुम ना शरमाओ
मेरे जैसा शीतल रह के
मन मिठास दिन प्रतिदिन भर के
तरबूजे सा मीठा बन के
दिल अजीज सब के तुम बन के
दुनिया में परचम लहराओ
भर मिठास मुस्कान खिलाओ !
सत्यम शुक्ल
2 2 मई २01 3
बच्चे मन के सच्चे हैं फूलों जैसे अच्छे हैं मेरी मम्मा कहती हैं तुझसे जितने बच्चे हैं सब अम्मा के प्यारे हैं --
13 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (22-05-2013) के झुलस रही धरा ( चर्चा - १२५३ ) में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर प्यारी बाल रचना,,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
सुन्दर बाल रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .बधाई . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
BHARTIY NARI .
सुन्दर सी प्यारी बाल रचना
साभार !
आदरणीय शास्त्री जी इस बाल रचना को आपने मयंक के कोना के लिए चुना ख़ुशी हुयी बच्चों के प्रति ऐसे ही प्रेम बनाये रखे ...आभार
भ्रमर ५
धीरेन्द्र भाई प्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५
आदरणीया अरुणा जी इस बाल रचना ने आप के मन को छुवा सुन ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५
आदरणीया शिखा जी इस बाल रचना ने आप के मन को छुवा ख़ुशी हुयी प्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५
प्रिय शिव नाथ जी प्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर कविता
आदरणीय शास्त्री जी , आदरणीय अरुणा जी , प्रिय चैतन्य जी आप सब का रचना पसंद करने और प्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर प्रिय चैतन्य जी मजा नहीं आता आप का चेहरा और अच्छी बातें देखने को मिलती रहती हैं तो आनंद और आता है ..
स्वागत है ...बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में आप पधारे ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५
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